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Pooja Srivastav

Romance Fantasy Others

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Pooja Srivastav

Romance Fantasy Others

प्रेम का रोग

प्रेम का रोग

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खोल के बैठे हैं किताब पढ़ने के लिए,

पर किताब में तो नज़र आता है चेहरा आपका

जिसे पढ़कर खो जाते है तस्सुवुर में हम आपके

जाने क्यों उस अजनबी का चेहरा है,

खयालों में, ख्वाबों में मेरे,

जिसे भुलाया नहीं दिल ने अब तक।

यूं लगता है जैसे पुरानी पहचान है आपसे कोई

ख्वाबों में आने वाले आप ही तो नहीं?

आपकी कशिश भरी निगाहों ने,

मदमस्त बातों ने बांध लिया है, जैसे मुझको

लग गया है ये जो रोग मुझे, 

कहीं ये प्रेम का रोग तो नहीं।



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