प्रेम गीत
प्रेम गीत
क्यो तड़पाते हो,क्यो रुलाते हो,
कभी झकझोर जाते हो,
कभी स्वप्न में आ मुस्कुराते हो,
मैं हु तुम्हारा,बस यही गीत सुनाते हो,
मन मंदिर के वासी हो
कभी तो सामने आओ,
वह प्रेम यहाँ बरसाओ,
कण कण प्यासा है प्रेम का,
आज प्रेम गीत यहाँ गाओ,
छिपा कर खुद की बाहों में,
एक नई दुनिया मे ले जाओ,
जहाँ बस प्रेम ही प्रेम बसता हो,
एक मैं हूँ और तुम हो,
एक पल ही सही,
बस आओ खुद में जी ले हम,
भूल सब दुनिया के गम,
एक दूजे में खो जाए हम,
मिलन की वो प्यारी रात हो,
बस प्रेम की रिमझिम बरसात हो,
आओ खो जाए हम कही,
स्वप्न्न की इस दुनिया में,
स्वप्न्न की प्यारी दुनिया में।