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Neerja Sharma

Tragedy

3  

Neerja Sharma

Tragedy

प्रदुषण

प्रदुषण

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आकाश की सैर में मन हो गया उदास

आकाश का धवल आवरण हो गया खराब।


वाह ! रे मानव क्या कर दिया कमाल 

धरती पर तो प्रदूषण फैलाया 

आकाश को भी जलवा दिखाया।


ऊपर से देखा तो धरती खिली थी 

पर आकाश की शैया टुकड़ों में बटी थी

रिश्तों को तो टूटते सदा ही देखा 

आकाश का बटवारा आज ही देखा।


रूई से सफेद आज पीले हो गए

मानों हमारे कर्मों से खिन्न हो गए 

दूध का उफान अब नजर ना आए 

पूरा आकाश अब बंटता ही जाए 

प्रदूषण ऊपर भी अपना असर दिखाए।


अब भी गर संभल गए तो कुशल बहु तेरा 

प्रदूषण की मार से बचे तभी भला तेरा

ठोस कदम अब मिल उठाने पड़ेंगे।


प्रदूषण के दानव को भगाने के लिए

प्रकृति से छेड़छाड़ अब कर दो बंद 

तभी जीवन होगा सुखद व स्वस्थ।


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