पर्दा
पर्दा
सवालों में उलझ कर जिंदगी बहती नहीं।
पानी के ठहराव में मछली पलती नहीं।
रोशनी की लौ उठी जब।
मायूसी का पर्दा उठने लगा तब।
जिंदगी के दर्पण में
हर चेहरा साफ दिखने लगा अब।
सवालों में उलझ कर जिंदगी बहती नहीं।
पानी के ठहराव में मछली पलती नहीं।
रोशनी की लौ उठी जब।
मायूसी का पर्दा उठने लगा तब।
जिंदगी के दर्पण में
हर चेहरा साफ दिखने लगा अब।