प्रभाव
प्रभाव
ढोल
तभी तक
जोर से बजता है
जब तक
तनाव में रहता है।
बांसुरी
तभी तक
सुरीली बजती है
जब तक
सांस फूंकी जाती है।
द्वेष-राग तभी तक
होता है,
जब तक कोई प्रभाव
होता है।
ढोल
तभी तक
जोर से बजता है
जब तक
तनाव में रहता है।
बांसुरी
तभी तक
सुरीली बजती है
जब तक
सांस फूंकी जाती है।
द्वेष-राग तभी तक
होता है,
जब तक कोई प्रभाव
होता है।