पराया धन
पराया धन
समाज की नजरों में,
बेटी हमेशा पराया धन है
उसका अपना,
कुछ भी नही है
उसे सदा त्याग ही करना है
कभी अपने सपनों का,
कभी अपने परिवार का,
कभी अपनी खुशियों का,
कभी अपने स्वाभिमान का,
फिर भी उसे
बोल दिया जाता है,
क्या किया है तुमने ?
अपनी अन्तर्मन की पीड़ाओं को छुपाकर,
सबके लिये जीती है अपनी जिन्दगी।
कभी किसी से शिकायत किये बिना,
रिश्तों को जोड़ कर रखती हैं।
बहुत विचित्र है बेटी होकर जीना।
अपनो को छोड़कर,
किसी और के साथ रहना।
ये सत्य है,
यह एक स्त्री ही कर सकती हैं !