स्त्री का प्रेम
स्त्री का प्रेम
1 min
357
स्त्री जब प्रेम में
होती है
खो देती हैं खुद को
उसके लिये
जिससे वो अथाह
प्रेम करती है
भूल जाती है सब
कुछ
याद रहता है बस वो
शख्स
जिसकी वो दीवानी बन
जाती है
हर बार माफ कर देती है
उसकी गलतियाँ
जो उसके हृदय में बस
जाता है
प्रीत में रहकर सारी रीतों
को छोड़ देती है
देखा है स्त्री को प्रेम में
अपना सर्वस्व न्यौछावर
करते हुये
और अनंत तक राधा मीरा
बनते हुये।