मेरा नाम शालिनी अग्रवाल है मुझे कविता लिखने में विशेष रुचि है
शायद हम मिल सकें हमारा मिलना मुमकिन नहीं फिर भी एक आस है। शायद हम मिल सकें हमारा मिलना मुमकिन नहीं फिर भी एक आस है।
ये सत्य है, यह एक स्त्री ही कर सकती हैं ! ये सत्य है, यह एक स्त्री ही कर सकती हैं !
मैं अकेला हो गया हूँ इस निष्ठुर संसार से। मैं अकेला हो गया हूँ इस निष्ठुर संसार से।
कभी परिवार की अनगिनत इच्छा कभी मोहब्बत में मिली बेवफाई कभी परिवार की अनगिनत इच्छा कभी मोहब्बत में मिली बेवफाई
उसका मिलना खुदा से मिलना होता है वो ही आपकी सच्ची इबादत होता है। उसका मिलना खुदा से मिलना होता है वो ही आपकी सच्ची इबादत होता है।
नजर आते हो सिर्फ तुम मुझे अल्फाजों से महोब्बत है। नजर आते हो सिर्फ तुम मुझे अल्फाजों से महोब्बत है।
भूल जाती है सब कुछ याद रहता है बस वो शख्स भूल जाती है सब कुछ याद रहता है बस वो शख्स
तुम मुझे याद करना जब तुम तन्हा हो जाओ। तुम मुझे याद करना जब तुम तन्हा हो जाओ।
क्या देखता है सबको तू सबसे अलग है। क्या देखता है सबको तू सबसे अलग है।
फिर उसे याद आता है वो एक लड़की है। फिर उसे याद आता है वो एक लड़की है।