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Sheetal Dange

Romance

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Sheetal Dange

Romance

पिया हुए आत्मसात

पिया हुए आत्मसात

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पिया रिझावन सूझ नहीं,

जगत मनाऊं घात

जगत की परवाह क्यों करें

जो पिया हुए आत्मसात


पिया हुए आत्मसात,

तो मन के बाजे तार

थिरक उठेंगे पाँव तेरे,

जैसी भी हो बिसात


बिसात बिछावे पिया मोरा,

चाल बिठावे वो ही

तू तो मोहरा प्रीत का,

बस इतनी औकात



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