पितृसत्ता
पितृसत्ता
ये राजा रानी की नहीं बल्कि
पितृसत्ता की कहानी है
कभी पत्नी तो कभी मां के
मोह ममता पर पट्टी लगानी हैं
वो राजा बेटा है खानदान का
जो सत्ता में नाम कमाएगा
गलती से बेटी आ गयीं तो
हाय! घर में मातम छा जाएगा
चलो माना आज की नहीं पर
किसी जमाने की यह कहानी है
जहां लोगों को मां बहन और
बेटियों की आवाज़ दबानी है
वह राजा बेटा है इसलिए
बिल्कुल कुछ भी कर सकता है
चलो गलत भी निकला तो क्या
कौन उसे गलत कह सकता है
बेटियों पर गुमान कहाँ था
नासमझ बेटा भी यहाँ ज्ञानी है
पितृसत्ता हैं बेटे के नाम पर
आगे पीढ़ी उसे ही बढ़ानी है।