पिता की छाँव
पिता की छाँव
जीवन सुरक्षित रहता सदा घने
बरगद सी शीतल पिता की छाँव में,
खुशियों का बसेरा, ख्वाहिशों का भी
डेरा रहता पिता की छाँव में।
ऊपर से कठोर नर्म और मुलायम
कुछ ऐसी भी होती है पिता की शख्सियत,
अपने संतानों की हर छोटी बड़ी खुशी
बिन कहे जानना होती उनकी खासियत।
हर समय मांँ के जैसा भले ही ना
उमड़ता हो उनके प्यार का सागर,
भीतर ही समाहित रखे वह अपना प्यार,
दिख जाता जब चूम लेते माथे पर।
तुलना उनके प्यार की किसी से हम
कर नहीं सकते, वे अनमोल है,
जीवन भर पिता जो संतानों के लिए करते,
मुश्किल आँंकना उनका मोल है।