STORYMIRROR

Aman Barnwal

Tragedy

3  

Aman Barnwal

Tragedy

पीछा नहीं छूटता

पीछा नहीं छूटता

1 min
273

छूट जाता है ताकत, साहस नहीं छूटता

खुद की सोचने का, आलस नहीं छूटता।

गिर कर उठने वाले भी फिर गिर जाते हैं

जब तक उठाने वाला ढाढस नहीं छूटता।

इज्जत को अपना हक मानने वाले

किसी की इज्जत नहीं करते है ।

जो दूसरों को इज्जत देते हैं

वो इज्जत की शिकायत नहीं करते हैं।

किसी को गिरा कर किसी का हाथ थाम लेते हैं

बड़े मददगारों में अपना नाम लेते हैं।

रौंदते है चीटियों को पैरों के नीचे

और वृक्षों को सींचने का नाम लेते हैं।

एक पुण्य के जोर से कहीं

पाप का शिलान्यास नहीं टूटता।

महफ़िल में मदिरा पिलाने से कहीं

रेगिस्तान में सूखा प्यास नहीं टूटता।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy