फटे गुब्बारा फूला
फटे गुब्बारा फूला
फूला गर्व गुमान में, धरे न बंदा धीर
काम क्रोध मद लोभ कर, घनी बढावे पीर
घनी बढावे पीर, जकड़ में ऐसा उलझा
झेल रहा संताप, मार से कभी ना सुलझा
कह"जय "जन चेताय, सत्य वह सारी भूला
नियति करे ना माफ, फटे गुब्बारा फूला।
फूला गर्व गुमान में, धरे न बंदा धीर
काम क्रोध मद लोभ कर, घनी बढावे पीर
घनी बढावे पीर, जकड़ में ऐसा उलझा
झेल रहा संताप, मार से कभी ना सुलझा
कह"जय "जन चेताय, सत्य वह सारी भूला
नियति करे ना माफ, फटे गुब्बारा फूला।