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KUMAR अविनाश

Romance

4.2  

KUMAR अविनाश

Romance

पहली बार मिले थे हम-तुम...

पहली बार मिले थे हम-तुम...

1 min
312



पहली बार मिले थे हम-तुम,

जिस हरियल अमराई में।

अब तक उसकी याद बसी है,

इस दिल की गहराई में।।


जन्मों का वो नेह अनोखा,

नही भूलता यूंही तो,

कैसे कोई दिल को रोके,

 इस ठंडी पुरवाई में।।


होठों पर मिश्री सी बातें ,

साफ़गोई थी दिल में भी।

तुझे देखते-खो जाते थे ,

आँखों की सुरमाई में।।


फूलों जैसी कोमल काया,

महक इत्र की होती थी।

गूंज रही हो कोयल या फिर,

 सुर-संगम शहनाई में।।


पाक़ रूह का इश्क़ कहें या,

कह दें इसको पागलपन।

खुद को हम ढूंढा करते थे,

तब तेरी परछाई में।।


सबकुछ पीछे छोड़ चले गये,

क्यों गैरों की महफिल में।

धन-दौलत की भूख "तेज",

दुश्मन है यार खुदाई में।।


छोड़ो अब कोई बात नहीं है,

अब तुम हुए सयाने जी।

दोड़ो तुम रफ्तार-ए-जहां में,

हम खुश हैं पगलाई में।।


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