पहली अनुभूति
पहली अनुभूति
जीवन के आखिरी पड़ाव पर
पहुंचने के बाद भी
वो पहला एहसास , अछूता ही है
कब्जा कर रखा है जो
अंतस मन की कंदराओं में
देखा नहीं फिर अपनी इन आंखों से
और ओझल भी नहीं हुआ ज़ेहन से
न जाने क्यों, भुलाया न गया उन्हें
एक ग़ैर ज़रूरी "ज़रूरत" सा शामिल रहें उम्र भर
ना कभी वो नंबर डायल किया गया
और ना ही उसे डायरी से हटाया गया
गाहे बगाहे निकाल कर तिजोरी से उनकी तस्वीर चुपके से निहारा गया
न फाड़ा गया ना जलाया गया
यथावत तिज़ोरी में छुपाया गया धुंधली सी रंगहीन तस्वीर
दर्पण में देखकर अपने दूधिया बाल और झुर्रीदार चेहरे से
उस युवा तस्वीर को मिला गया ......
अनायास खिल उठा गुलाब, सूखे पपड़ी जमें होंठों पर मुस्कान बन कर
यह पहला पहला प्यार का ही असर है
जो उम्र के आखिरी पड़ाव तक रोमांचित करता है ।