पहला प्यार
पहला प्यार
ख़्वाहिश इतनी है कि तेरे हाथों की बनी चाय मिले
सुबह होते ही तेरा साथ मिले
चाहत बस इतनी है मिलकर तेरे नैनों से बात करूँ
शाम होते ही तेरा इंतज़ार करूँ
मिले नहीं अभी तक पर जैसे सब मिल गया हो
अधूरी नहीं रही मेरी वो मुलाकात
जो न मिल कर भी हम मिल लिए
रूठ कर तेरा मनाना
मेरा रूठ कर फिर तेरा होना
अच्छा लगता है।
पास नहीं फिर भी सबसे पास लगने लगे हो
दूर से ही मुझसे बात करने लगे हो