Hassan Bilal
Abstract Classics
चार दोस्त है
दो साइकल है
निकल पड़े एक दूसरे का
हाथ थामे
न पैसा है जेब में
न फिक्र है मन में
चलते गए बे फिक्र की राह पर
जहाँ न कोई कानून है
ना कोई बनाने वाले
है बे फिक्र हम चार दोस्त
चार दोस्त हम।
हार कर जीतना
पहला प्यार
मंज़िल दूर की
देश का राजा
चार दोस्त
2020
किसान आज
जीवन मिला है तो मृत्यु भी एक शाश्वत सच्चाई है, जीवन मिला है तो मृत्यु भी एक शाश्वत सच्चाई है,
होगा जब सब ओर तमाशा गीत वही फिर गाऊँगा ! होगा जब सब ओर तमाशा गीत वही फिर गाऊँगा !
बस मुस्कुरा कर चलता रह मुसाफिर तू मुस्कुराते हुए चलता रह मुसाफिर ! बस मुस्कुरा कर चलता रह मुसाफिर तू मुस्कुराते हुए चलता रह मुसाफिर !
जहरीली हवा आँखों में जलन और दमा जगह जगह प्रदूषण का कहर नहीं थमा। जहरीली हवा आँखों में जलन और दमा जगह जगह प्रदूषण का कहर नहीं थमा।
सफर-ए-मंज़िल-ए-सदा को अब सुनना जरुरी है। सफर-ए-मंज़िल-ए-सदा को अब सुनना जरुरी है।
जिसे तुम फरेपान कहती हो उसमें से आती भीमी भीमी जलने की ख़ुशबू। जिसे तुम फरेपान कहती हो उसमें से आती भीमी भीमी जलने की ख़ुशबू।
प्रातः काल तो नित है आता साथ में लेकर सूर्य की लाली प्रातः काल तो नित है आता साथ में लेकर सूर्य की लाली
चूड़ियों की खनक कराएं जीवंतता का एहसास। चूड़ियों की खनक कराएं जीवंतता का एहसास।
आइए ! बीती बातों को बिसारें अपना आज सँवारें। आइए ! बीती बातों को बिसारें अपना आज सँवारें।
यूँ ही बेख्याली में ये तमाम सफ़र होने दें। यूँ ही बेख्याली में ये तमाम सफ़र होने दें।
अभी दिए की लौ सी है रोशनी मेरी देखना एक दिन आफताब हो जाऊंगा। अभी दिए की लौ सी है रोशनी मेरी देखना एक दिन आफताब हो जाऊंगा।
चलने वाली परीक्षा को ईमानदारी से ही दीजिये। चलने वाली परीक्षा को ईमानदारी से ही दीजिये।
दिल डूबा क्यों फ़िर उसकी चाहत में है वो ही जब डूबी आँखें नफ़रत में. दिल डूबा क्यों फ़िर उसकी चाहत में है वो ही जब डूबी आँखें नफ़रत में.
मरने से पहले ही क्यों मरा जाए चलिए मुस्कुराइये , थोड़ा जिया जाए । मरने से पहले ही क्यों मरा जाए चलिए मुस्कुराइये , थोड़ा जिया जाए ।
जो हौसलों से उड़ान भरते हैं वे गिर कर उठा करते हैं. जो हौसलों से उड़ान भरते हैं वे गिर कर उठा करते हैं.
तुम सब लड़ना तुम ही हो सब देश के सच्चे इंसान तुम सब लड़ना तुम ही हो सब देश के सच्चे इंसान
समुद्र समुद्र
जो चले सूझबूझ से अपने गुणरुपी सेना संग चाल। जो चले सूझबूझ से अपने गुणरुपी सेना संग चाल।
बिस्तर पर भी मन ही मन उन्हें धन्यवाद किया, और पौधे लगाने का फिर निश्चय किया। बिस्तर पर भी मन ही मन उन्हें धन्यवाद किया, और पौधे लगाने का फिर निश्चय किया।
बिना पिता के एक बच्चे की दुनिया शून्य हो जाती है। बिना पिता के एक बच्चे की दुनिया शून्य हो जाती है।