पहला प्यार
पहला प्यार


याद आती है वो बातें
बड़े दिनों बाद
उसके मन की हर एक बात
मन को मोहती थी
गिंगिन कर थकती नहीं आँखें
हर तारिख , हर दिन हर समय
अनुमान लगा लेती वो ,
उसकी हर कमीज का रंग
झट से शर्त जीत जाती वो
बिना इज़ाज़त देखती रहती
पालक झपकाते निहारती रहती
मन ही मन मुस्कुराती रहती
कुछ बात हो जाए तरस जाती
अलग थी हर एक अदा
साइकिल पर सवार होकर
करता सबको फिदा
सुबह की धुप में बैठकर
बरामदे में करती इन्तेज़ार
जब गिर
जा घर जाता
हर रविवार संग परिवार
लाल पत्थर से लिख जाती वो
नाम सड़क पर बार बार
वो बचपन था भरपूर
चॉकलेट जैसी मीठी छवि
दिल में आज भी ख्याल है जरूर
अनोखा अजीब अनुभव था यार
शर्मीली चमकती बचकानी सी
बचपन हो या यौवन
पचपन हो या वृद्धस्थ
होता है खूबसूरत पहला प्यार
जाने क्यू अक्सर रह जाता अधूरा
हंसती हूँ आज भी दिल से
शुक्रिया उस जिंदगी का
गम हो या आंसुओं की बहार
नहीं छूटेगा खुशीवाला पहला प्यार !