फिल्म
फिल्म
ये जो फिल्में जो बनती हैं
न जानें कितनी पीड़ाओं से
भरी होती है मार्मिक दृश्य
नायक नायिका की भूमिका
प्रेम से भरा वो अनूठा प्यार
कभी कभी रिश्तों में तकरार
कभी खुशियो से टूटे रिश्ते
न जाने अजब गजब फरिश्ते
फिल्मों की यारी में दिवाना
ये चलो साथी हाथ बढ़ाना
गरीब की पीड़ा दर बदर
पैसे वाले दिखा नीचा पन
भूल जाते हैं संस्कार कदर
होती है फिल्मों में चापलूसी
नेताओं का सुयश की कीर्ति
बनकर पत्थर दिल बिखेरती
हां फिल्मों में कभी जन मानस
कभी आग बबूला,पत्थर पारस
प्रलोभन का चलता व्यापार
चंद प्रल़ोभन खातिर जोखिम
जान हाथेली रख करते कुकृत्य
मानव से लेकर दानव का बड़ा
श्रेय घिनापन का चित्रण भरा
जानें अंजाने कितनी स्मृति
समेटती है तरह तरह की फिल्में
सारे नीचापन का अंतिम श्रेय
निकालते हैं छुपे रुस्तम की
भांति नायक आत्मबल से
पिरोति हुई हर फिल्मों में
छुपी होती है कुछ जज्बा।
