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Anjneet Nijjar

Tragedy

3  

Anjneet Nijjar

Tragedy

पहचान में नहीं आता

पहचान में नहीं आता

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यहाँ कोई भी शख़्स अब,

पहचान में नहीं आता,

मर गई हैं सब की संवेदनाएँ,

किसी दूसरे का दर्द तड़पने,

के लिए मजबूर नहीं है कर पाता

यहाँ कोई भी शख़्स अब,

पहचान में नहीं आता,


निगाहों ने खो दी है,

अच्छे बुरे की पहचान,

अपनी ग़लतियों पर डाल कर पर्दा,

अब कोई नहीं है पछताता,

यहाँ कोई भी शख़्स अब,

पहचान में नहीं आता,


उदारता खो गई है कहीं,

धोखे का बाज़ार है लगाता,

पीठ में खंज़र उतार कर भी,

कातिल कोई नहीं कहलाता,

यहाँ कोई भी शख़्स अब,

पहचान में नहीं आता,


जीभ ने खो दिया पवित्र स्वाद,

बेईमानी के विषैले स्वाद को

अमृत मान कर हर कोई है

अपनाता,

यहाँ कोई भी शख़्स अब,

पहचान में नहीं आता,


किससे शिकायत करें अब,

रिश्ते-नाते हुए मतलबी,

अपनों के होते हुए भी,

ख़ुद को गैर है पाता,

यहाँ कोई भी शख़्स अब,

पहचान में नहीं आता…..


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