फागुन का महिना
फागुन का महिना
फागुन के महीने में,
दिल के इस बीराने में,
उठती लहरे मुझ से पूछे,
क्यूँ तू पल पल मुझसे रूठे,
अन्दर ही अन्दर ही फिर टूटे,
बतलाना, यार बतलाना।
रंग में फिर रंग गयी हैं,
दुनियां कहाँ बदल गयी हैं,
सब यार तेरे यहाँ हैं,
फिर भी क्यों मायूस यहाँ हैं,
बतलाना, यार बतलाना।
आज मौसम खिला खिला हैं,
कौन खो कर मिला नही,
था जो खिला खिला जो चेहरा,
कहाँ गया वो सवेरा,
बतलाना, यार बतलाना।
सब बंदिश तुम तोड़ आना,
रस्में पुरानी तोड़ आना,
आकर मिरे दिल में समाना,
तुम आ मुझको रंग लगाना,
बतलाना, यार बतलाना।