रंग बरसे बरसाने में
रंग बरसे बरसाने में
लाल पिला रंग गुलाबी उड़ रहा आकाश में,
गोपियां खेल रही होली श्यामजी के साथ में।
फागुन में होश गंवाए कान्हा के सब प्यार में,
रंग डारे श्याम सलोना प्रेम भर पिचकार में।
प्रेम बरखा हो रही नाचे हैं मोर पपीहा बोले,
श्याम की बंशी कोई मधुर कानो में रस घोले।
ताल दे कर नाच रहे गोप सब हरिनाम से,
रंग बरसे बरसाने में आज श्याम तेरे नाम के।
मृग घोले हैं कस्तूरी की महक आज मनमोहनी,
जमुना चल रही देखे हैं सब रंग मनमोहनी।