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Jeet Jangir

Abstract

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Jeet Jangir

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तेरा रंग

तेरा रंग

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तेरे बदन को छूने का ये फ़क़त बहाना हो गया,

होली में जब तुमको मेरा ये रंग लगाना हो गया।


थी बंदिश रवायत की और जमानें भर के पहरे थे,

जिस दरिये के किनारे पर हम बरसों से ठहरे थे,

उस नमकीन पानी मे हमारा अब नहाना हो गया,

होली में जब तुमको मेरा ये रंग लगाना हो गया।


रश्क़ रहा है सबको ही साथ देखकर तुझे हमारे,

गलियाँ गलियाँ कूचे कूचे रखते खबर सब चौबारे,

चौक चौराहों की नजरों में अब तो दीवाना हो गया,

होली में जब तुमको मेरा ये रंग लगाना हो गया।


खोई खोई आंखों ने जब तेरे ख्वाब बुनना सीखा है,

उन ख्वाबों पर सदा ही इक नाम तुम्हारा लिखा है,

उस नाम की जिया से रोशन हर ठिकाना हो गया,

होली में जब तुमको मेरा ये रंग लगाना हो गया।


मुहब्बत अधूरी सदा वो जिसमें तड़फ न मिली कोई,

हिना वो न रंग लाती जो पत्थर पर ना पिसी गयी,

पत्थर जमाने के दिल की बातों का रंग जमाना हो गया,

होली में जब तुमको मेरा ये रंग लगाना हो गया।


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