होली की मस्ती
होली की मस्ती
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रंगों से भरी पिचकारी,
सजन ने हम पर डारी,
भीज गयी लहंगा चोली,
भीज गयी चुनर सारी।
ना छेड़ो ना रंग लगाओ,
डर लगता हैं रंगों से,
गाल हुए गुलाबी अब तो,
रंग झड़ते सब अंगों में।
मल मल कर लाल हुए,
गलियों में अब सवाल हुए
सजनी के रंग में रंग गये,
और खड़े बवाल हुए।
खड़े खड़े मस्ती हो गयी,
बहकी जवानी जो मेरी,
घायल हुए हम अब हैं,
संभालो सखियों ओ मेरी।
