फागुन का महीना(लोकगीत)
फागुन का महीना(लोकगीत)
फागुन का महीना सखी रे,
पिया की याद दिलावे।
मन सतरंगी मोरा,
बिरहा के गीत सुनावे।
परदेस गए मोरा पिया,
कोई तो दो रे सन्देस,
उलझे हैं केश मोरे
बनाये कइसन भेस।
लाल-पीली चुनर मोरी,
उड़-उड़ जावे,
बावरा मन मोरा,
छुपके नीर बहावे।
बादल जैसे बन,
उड़ जाऊँ गगन में,
साजन संग मिलके,
आ जाऊँ चमन में।
सब को देखन ,
मन मोरा ललचावे।
फागुन का महीना सखी रे,
पिया की याद दिलावे।