पढ़ाई का सफ़र
पढ़ाई का सफ़र
आज नाव मैंने जल में छोड़ दी
आज नाव मेरी चल पड़ी
आज पढ़ाई का सफ़र मैंने शुरू किया
आज शिक्षा लेने मैं चल पड़ी
नौका मेरी चल रही लेके पतवार
सीख मेरी आगे बढ़ी देके सवालों से उत्तर
पहुँची मंझदार में नैया, फ़िर तूफ़ां ने ऐसा घेरा
ज़िंदगी में आया ऐसा क़हर, रुक गया पढ़ाई का सफ़र
पतवार भी छूट गई हाथों से
हार मान ली मैंने कुछ सालों के लिए
अब इन लहरों से क्या डरना, मैं इन लहरों से लडूँगी
लिया मैंने एक संकल्प, छुटी हुई पढ़ाई पूरी करूँगी
नाव को तूफ़ां से पार कराना है, अब मैं ख़ुद पतवार बनुँगी
ठान लिया भले करना पड़े संघर्ष, इससे लडूँगी अब मैं ना थमुगी
लक्ष्य था मेरा सिर्फ वो किनारा, नाव को मैं वहाँ तक सिचुंगी
पढ़ाई का सफ़र फ़िर से शुरू किया अब मैं ना रुकूँगी
अब दूर नहीं है बस सिर्फ़ थोड़ा फ़िर नाव होगी साहिल पे
ना हो कश्मकश ना हो मसला तो क्या मज़ा है जीने में
पतवार के बिना मेरी नाव चल रही थी
तूफ़ां, आंधी से लड़कर उस खुदा का हाथ थामे सफ़र पार कर रही थी
इस तूफ़ां से इस समंदर से मैंने मोहब्बत कर ली
उन किताबों से उन कागज़ कलम से मैंने दोस्ती कर ली
लहरों, तूफ़ां से लड़कर कश्ती पहुँची मेरी साहिल तक
अज़्म के साथ हुआ संकल्प पूरा, संघर्ष से भरपूर ये पढ़ाई हुई और रोचक
सच ही कहा है, लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती।।