पैकर
पैकर
प्यार की हो बातें ऐसा मंजर नहीं !
पास में कोई ऐसा पैकर नहीं
बेवफ़ा का काट देता आज सर
देखो वरना हाथ में ख़ंजर नहीं
प्यार का तू भेज दे गुल ऐ सनम
तू दग़ा का फेंक यूं कंकर नहीं
भर गये ग़म के कांटों से नफ़रत से
प्यार के गुल से भरी चादर नहीं
नफ़रतों का खेल आया कब मगर
प्यार से दिल की जमीं बंजर नहीं
और भी रहते यहाँ देखो चेहरे
मत दिखा तू तल्ख़ यूं तेवर नहीं
दे वफ़ा से प्यार का पानी सदा
शहर में ऐसा वो मिला दर नहीं
रात दिन दिल को सताये अब यही
मंजिलें आज़म मिली बेहतर नहीं।
आज़म नैय्यर