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Nitu Mathur

Tragedy

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Nitu Mathur

Tragedy

पापा

पापा

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 क्यू अपनों का साथ जल्दी छूट जाता है

 क्यू आंसुओ से फ़िर दिल भर जाता है,


हाथ खाली और शरीर पत्थर बन जाता है

मन और मस्तिष्क का तालमेल बिगड़ जाता है,


हम विश्वास नहीं कर पाते कभी

जो साथ थे, वो पल में कहां गए अभी,


अब हर जगह दिखाई देते हैं वो

जैसे कुछ कहना चाह रहे हैं


में बेबस सी , लाचार सी

भरी आंखों से देखने की कोशिश करती हूं


वो मुझे धुंधले नहीं, अपितु साफ दिखाई देते हैं

मुझे दिलासा देते हुए, धीरज देते हुए..


वो कोई और नहीं....

उस दुनिया से मुझे मेरे " पापा " दिखाई देते हैं!


   


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