Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Manju Saini

Tragedy

4  

Manju Saini

Tragedy

पापा का घर

पापा का घर

3 mins
386



जब तक पापा जिंदा रहते

बेटी मायके में हक़ से आती जाती रहती

और घर में भी ज़िद कर लेती है और मनवा भी लेती

कोई कुछ कहे तो डट के बोल देती है कि

मेरे पापा का घर है मेरा भी पूरा सा हक हैं

पर जैसे ही पापा चले गए ना तो बस

समझो कि बेटी तो अनाथ सी ही हो जाती

घर आती पापा के बाद तो वो इतनी चीत्कार

करके रोती पता चल जाता सभी को कि बेटी आई

जब तक पापा जिंदा रहते

बेटी मायके में हक़ से आती जाती रहती

बेटी उस दिन अपनी हिम्मत हार जाती है,

क्योंकि उस दिन उसके पापा ही नहीं उसकी

वो हिम्मत मर जाती हैं वह रह जाती हैं नितांत अकेली

पापा की मौत के बाद बेटी कभी अपने

भाई- भाभी के घर वो जिद नहीं करती

जो अपने पापा के वक्त करती थी,

जो मिला खा लिया, क्योंकि अब पापा नही हैं

जब तक पापा जिंदा रहते

बेटी मायके में हक़ से आती जाती रहती

इसके आगे लिखने की हिम्मत नहीं है,

क्योकि मैं भी बिन पापा की बेटी हूँ

सब मेरे साथ भी हुआ हैं,यही हित भी हैं

इतना ही पापा के लिए बेटी उसकी जिंदगी होती है,

पर वो कभी बोलता नहीं, और बेटी के लिए पापा

दुनिया की सबसे बड़ी हिम्मत और घमंड होता है,

पर बेटी भी यह बात कभी किसी को बोलती नहीं है।

जब तक पापा जिंदा रहते

बेटी मायके में हक़ से आती जाती रहती

पापा बेटी का प्रेम समुद्र से भी गहरा होता हैं

मुझ से ज्यादा शायद ही कोई जाने पापा

समुद्र की लहरों सी आपकी बिटिया मानो

किनारे से मिल तो लेती हैं पर टिक नही सकती

कुछ क्षण अपने किनारे संग मुझ सी बेटियाँ भी

ढूंढती हैं आंखे अपने बीते हुए सुखद पलों को!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy