पानी में डूबाता है
पानी में डूबाता है
कुछ अनसुने से गीत सुनाता है ।
समझदारी की बेड़ियां तोड़कर
नासमझी की जेल
में दौडा चला जाता है।
किनारे पर सागर के कुछ देर टहल आता है ख्वाहिशों के घोसलें बनाकर
उम्मीदों के परिंदे सुलाता है
दिल की क्या कहें
कभी हंसते -हंसते रुलाता है
तो कभी रोते -रोते मनाता है
लहरों में गोते लगाता है तो कभी चुल्लू भर
पानी में डूबाता है।
