पाल नाव
पाल नाव
जल यातायात का था प्रमुख साधन पाल नाव,
उपयोग करती वायु मंडलीय शक्तियों का,
खेने के लिये जल में ये नावें।
किनारे खड़ी पाल नाव चित्र में,
लग रहा कर रही प्रतीक्षा यात्रियों के आगमन की,
झट चल देगी अपने गन्तव्य की ओर ले सवारीयां,
बढ़ रहीं अन्य कुछ नावें किनारे की ओर,
यात्रियों को आ रहीं हो शायद छोड़ने किनारे,
है आकाश आच्छादित बादलों द्वारा,
पर्वतों से घिरी बह रही धारा जल की,
रमणीय क़तार वृक्षों की बढ़ा रहीं शोभा।
है कलाकारी चित्रकार सीतराम की ये अद्वितीय,
उन्नीसवाँ सदी के हैं ये बंगाली चित्रकार,
रह गये थे दशकों तक अनदेखे कलाकार ये महान,
नियुक्त किया इन्हें हेस्टिंग्स ने कलकत्ता से दिल्ली तक,
उनके निरीक्षण की घटनाओं को करने के लिये रिकॉर्ड।
सीताराम थे निपुण जलरंग तकनीक के,
निर्माण किया दो सौ तीस जलरंगों का एक वर्ष में,
किया प्रस्तुत प्राकृतिक दृश्यों को अपनी सुरम्य शैली में,
हाल ही में हुई नीलामी सीताराम के जलरंगों की,
बढ़ी क़ीमत जिसकी 6900 यूरो तक।।
