STORYMIRROR

Ketankumar Kantilal Bagatharia "Rahi"

Romance Fantasy Thriller

4  

Ketankumar Kantilal Bagatharia "Rahi"

Romance Fantasy Thriller

ओ जिंदगी

ओ जिंदगी

1 min
159

ओ जिंन्दगी,

दूसरों को हसाने खुद रोना पड़ा रही

जो कल तक कुछ न समझते थे


आज हम उसके खुदा हुए राही,

अब करम कर मालिक-


चीख पुकार ज़िंदगी से आ रही है, राही

जीते-जीते मोत छा रही है राही,


गम की आहोस में खुशी दिखी नहीं, राही

तेरे आलम में मेरा मैखानाभी खाली,


साकी भी अल्लड और पैमानाभी टूटा-फुटा,

अब तो रहम कर राही पर मालिक।


विषय का मूल्यांकन करें
लॉग इन

Similar hindi poem from Romance