ओ जिंदगी
ओ जिंदगी
ओ जिंन्दगी,
दूसरों को हसाने खुद रोना पड़ा रही
जो कल तक कुछ न समझते थे
आज हम उसके खुदा हुए राही,
अब करम कर मालिक-
चीख पुकार ज़िंदगी से आ रही है, राही
जीते-जीते मोत छा रही है राही,
गम की आहोस में खुशी दिखी नहीं, राही
तेरे आलम में मेरा मैखानाभी खाली,
साकी भी अल्लड और पैमानाभी टूटा-फुटा,
अब तो रहम कर राही पर मालिक।

