पहचान है हिन्दी
पहचान है हिन्दी
उजागर करता भारत की पहचान,
भिन्न-भिन्न पहेनावा भारत की पहचान,
खान-पान ना ऐक, ऐक ना बोलीं,
जात पात की अनेकों टोली,
प्रांत भाषाओं, क्षेत्र भाषाएं अनेक,
बोलचाल हो व्यवहार हो,
भाषा मिलती ऐका अनेक,
भाव तोल मोल भाव सबकी भाषाएं अनेक,
क्षेत्र भाषाएं बोली मातृभाषा कही जाती,
भाव क्षेत्रों को भाषा क्षेत्र को,
जो जोड़े रखती वह हिंदी कहलाती,
उत्तर से दखन तक कम या ज्यादा,
बोली जाती भाषा ये अलबेली,
पूरब से पश्चिम तक भारत का सीना तानकर रखती,
भाषा वह है हिन्दी,
लाल किले की आन उजागर करने वाली,
भाषा है ये हिन्दी,
हाय रे फ़ूटे करम इस देश के,
जहां नेता अंग्रेजी समझे शिष्टाचार,
राष्ट्र भाषा, मातृभाषा लगे पीछडापन,
अज्ञानी अनपढ़, अल्पपढ लोग,
यहां है सुकानि, करते रहते अपनी मनमानी,
जाला दिया राष्ट्र, प्रांत जाती वाद में,
रही कसर पूरी कर दी भाषा वाद ने,
एक रहो, एक जुट होकर चलो,
बोली रखो राष्ट्रीय एक,
हिन्दी रखो पहचान देश में,
उपर उठ सके, सभी देशवासी,
भारत एक बनाए,
चलो भाषा ऐक अपनाएं,
दूर रहें या पास रहे भाषा एक अपनाएं,
नेता हो या हो बच्चा, भाषा एक अपनाएं,
पहेनो जुदा या हो खान-पान जुदा,
ऐक भाषा से भारत को जोड़ें,
मेरी भाषा, तेरी भाषा हम सबकी भाषा,
हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा कहलाएं,
कुछ करें ऐसा, सब मिलकर,
काम बने आसान ऐसा मार्ग चुने,
सब चलें, मिल के रहें, भाषा अपनी चुनें हिन्दी,
मैं बोलु तुम भी बोलो,
ये अपनी राष्ट्रीय भाषा हिन्दी,
ऐक ऐक जुड़े, सब साथ साथ चले,
अपनाए हिन्दी,
करें करम, बनें राष्ट्र धरम, भाषा एक अपनाएं,
एक जुट रहे साथ साथ चले,
जग भी जुड़ेगा, अपनाएगा राष्ट्रीय भाषा हिन्दी,
जन मानस की जरूरत होगी,
तभी बनेंगी, ये भाषा विश्व भाषा रंगिली,
महत्व बढ़ाए, जरुरत बनाऐ, तभी बनेंगी
ये भाषा विश्व मोहिनी,
आओ हाथ बढ़ाए, कदम से कदम मिलाएं,
साथ अपनाएं, राष्ट्र बनाए, एक भाषा अपनाएं हिन्दी।