ढुन्ढेगी कहा ऎ सज़नी
ढुन्ढेगी कहा ऎ सज़नी
ढुन्ढेगी कहा ऎ सज़नी
जब में में ना रहुन्गा
चाहत तेरी किस काम की
जब में मे ना रहुन्गा
दुनिया की कोई चाहत नहीं
अब मेरे में मे शामिल नहीं
जग की कोई बात नहीं
अब में जग शामिल नहीं
तू ही तू है सब और
"राही" में तो कही है ही नहीं
के के बगथरिया as राही।