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Ketankumar Kantilal Bagatharia "Rahi"

Drama Crime Inspirational

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Ketankumar Kantilal Bagatharia "Rahi"

Drama Crime Inspirational

कोरोना काल में

कोरोना काल में

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कोरोना काल में, 

क्या खोया क्या पाया है, 

सहसा आया, 

कोई कुछ समझ नहीं पाया, 


सबकुछ बंध, 

शहर, नुकड गली, स्कूल,

बचपन मुरजाया,

खेलता आँगन उजड़ा, 

आया जो कल तक बाधित था, 

मोबाइल ओर डाटा, 


तरह तरह की ऐप, 

शिक्षा का ओनलाइन, 

आगमन हुआ, 

मुरजाई स्कूल ओर 

बच्चों के दिन, 

मोबाइल का बोलबाला हुआ, 


कठिनाई बड़ी, 

डाटा फोन महंगा, 

कई बच्चे जुड़ ना पाऐ, 

कुछ कुछभी समझ ना पाऐ, 

शिक्षक भी हैरान, 

घर घर जाकर टीका दिलवाऐ, 


अस्पताल ड्युटी, 

मुराद गीनो, बच्चे पढाव,

क्या कठिनाई ! 

क्या खोया क्या पाया, 

बस यही परेशानी।


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