वसंत
वसंत
वसंत ने जब ली अंगड़ाई!
प्रकृति ने ग़ज़ल पाई,
ठहर गई सांसें पतझड़ की,
ऋतुराज ने बांहें फैलाई,
खिला आंगन हरियाली का,
सांसों ने करवट बदली,
त्योहार की लड़ियां भर गई,
हर आंगन में खुशी भर दी,
वसंत ने जब ली अंगड़ाई!
वसंत ने जब ली अंगड़ाई!
प्रकृति ने ग़ज़ल पाई,
ठहर गई सांसें पतझड़ की,
ऋतुराज ने बांहें फैलाई,
खिला आंगन हरियाली का,
सांसों ने करवट बदली,
त्योहार की लड़ियां भर गई,
हर आंगन में खुशी भर दी,
वसंत ने जब ली अंगड़ाई!