नज़रों से कह दो
नज़रों से कह दो
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नज़रों से कह दो यूँ सितम ना ढाए हम पर
हम तो यूँ ही मदहोश है तेरे बेफिक्र हुस्न पर
तेरी मोहब्बत की तपिश में पिघल रहा हूँ मैं
हुकूमत होने लगी है अब तेरी मेरी रूह पर
दरिया-ए-चश्म में डूब कर पाया है खुद को
जो लुटाया है खुद का वजूद हमने तुम पर
मेरे ख्वाबों की मल्लिका बन तुम हो आए
दिल की जुम्बिश मे तुम हो मुहर्रिक बन कर
आज भी गुमनाम सी है मेरे इश्क़ की कहानी
फिर भी नाम हुआ है हमारा तुमसे मिलकर।