Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Ganesh Chandra kestwal

Abstract Inspirational

4.5  

Ganesh Chandra kestwal

Abstract Inspirational

नवल हर्ष वितरे वसुधा

नवल हर्ष वितरे वसुधा

1 min
414


नवल प्रभा में नवल वर्ष का, नवल हर्ष वितरे वसुधा।

भारत पुण्य धरा के तल पर, प्रसरित अनुपम सत्य सुधा॥


वासंती पवनों से सुरभित, प्रमुदित सब जड़ जंगम हैं 

नेह उमंगो के पग पग पर, लगते नित नित संगम हैं। 

सौहार्द सिंधु है बहु विस्तृत, गोते लगते हैं बहुधा। 

नवल प्रभा में नवल वर्ष का, नवल हर्ष वितरे वसुधा॥


शोभा अद्भुत महा झलकती, धरणी के हर कण-कण में।

आनंद भवन में विचरण करता, हर्षित नर उर हर क्षण में।

कारण को हम जाने कैसे? दिखती उनमें है विविधा।

नवल प्रभा में नवल वर्ष का, नवल हर्ष वितरे वसुधा॥


 पंख पसारे नीले नभ पर, खगकुल हर्षित नित उड़ता।

आशाएं नवजीवन की धर, नवजीवन से नित जुड़ता।

उन्मुक्त हवाओं से उड़ने की, उपहृत दिव्य हुई सुविधा। 

नवल प्रभा में नवल वर्ष का, नवल हर्ष वितरे वसुधा॥


अलिदल फिर फिर गाकर चूमे, पुष्पों का मन खुश रहता।

मधुकर राग मधुर सुन सुन कर, पुष्पों का मधुरस बहता।

मधुरस पुष्प पुष्प पर मिलता, नहि भँवरों में है दुविधा।

नवल प्रभा में नवल वर्ष का, नवल हर्ष वितरे वसुधा॥


आदिशक्ति दुर्गा का अर्चन, नव वेला नर करता है।

शक्ति कामना उर में धरकर, तन में भी नव भरता है। 

ऐसा फलता भारत भू पर, हायन नव शुभ कामदुधा।

नवल प्रभा में नवल वर्ष का, नवल हर्ष वितरे वसुधा॥


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract