नव गीत
नव गीत
नव गीत रचे, नव प्रीत सजे।
प्रेम जहाँ हो कण कण से।
ऐसा नूतन भाव जगे।
नव आशाएं हो, न निराशाएं हो।
कितने भी पथ विषम न हो।
बढ़ते चलने का जोश जगे।
नव लक्ष्य बने, हर अंतस सजे।
सद्गुण, सद्भाव ही अपनाकर,
पुनः मानवीयता सजे, मानवीयता सजे।
आशाओं का आकाश बने,
प्रेम, करुणा संग पग पग बढ़े।
कुछ यूं हो, इस गगन के तले।
नव प्राण सजे, नव संकल्प जगे,
बाट कर खुशियाँ, हर गम भी मिटे,
कदम ऐसा बढ़े, कदम ऐसा बढ़े।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
