नूर
नूर
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तेरी राहों पर चलने का जब इरादा किया
तुझसे मिलने की आरजू मुकम्मल होती गई
हर रंग में मैं रंगती चली गई।
मुसलसल यह सिलसिला चलने लगा
तबस्सुम से नूर मेरा खिलने लगा।
जब से जाना संग मेरे है तू सनम,
उमंगों की तरंगों से साज़ बजने लगा
रूह संवरने लगी
ख्वाहिशों पर विराम लगने लगा।।