नूर झलकता
नूर झलकता
नूर झलकता है तेरी आंखों से,
झरती है कलियां तेरी लबों से,
होती है मेरी दिन रात तेरी ,
पलकें, झपकने से।
तेरे अंग अंग से है टपकता जैसे,
मय भर भर प्याला।
तेरे जुल्फों से है बिखरती है जैसे,
बाहर खुशबू की ।
तेरे होंठों से निकलते है हर लफ्ज़ जैसे, बांसुरी का सुर ,
तेरे चेहरे का नूर लगता जैसे,
तारों सी दमक ।