अज्ञान-अँधेरा मिटाती जो, वो मशाल बनो तुम। हर भूमि में खुद को साबित करो तुम। अज्ञान-अँधेरा मिटाती जो, वो मशाल बनो तुम। हर भूमि में खुद को साबित करो ...
बसंत आया हर द्वार है स्वागतम् बसंत हर बार है। बसंत आया हर द्वार है स्वागतम् बसंत हर बार है।
सौंदर्य मंडित फिर हुई धरा लाल फूलों से भर गया आँचल सौंदर्य मंडित फिर हुई धरा लाल फूलों से भर गया आँचल
प्रेम को बढ़ाता प्यार का परिधान लिए आया सावन झूम के।। प्रेम को बढ़ाता प्यार का परिधान लिए आया सावन झूम के।।
तू झलक रहा वतन के कणों में है तू रक्षक भारत पर पड़ती हर लाठी का। तू झलक रहा वतन के कणों में है तू रक्षक भारत पर पड़ती हर लाठी का।
जैसी नए साल की शुरुआत वैसा अंत हो, जनवरी से दिसंबर तक खुशियाँ अनंत हो, जैसी नए साल की शुरुआत वैसा अंत हो, जनवरी से दिसंबर तक खुशियाँ अनंत हो,