आने वाला साल (कुछ उम्मीदें)
आने वाला साल (कुछ उम्मीदें)
आने वाला नया साल कुछ ऐसा हो,
सुबह की पहली किरणों के जैसा हो,
जो भुला दे अतीत के पुराने पन्नों को,
उम्मीद से भरा हुआ प्याला जैसा हो,
खुशियाँ दस्तक दें, हम सभी के द्वार,
जो झेल चुके, फिर ना झेले यह संसार,
आने वाला नया साल, हो नई रोशनी,
जो हमारे जीवन का मिटा दे अंधकार,
कुछ गुलाब सी हो नए साल की महक,
जिससे उपवन में लौट आए वही चहक,
जो हुआ करती कभी हमारी गलियों में,
ले आती थी मुरझाए चेहरों पे भी दमक,
दोस्तों की जमें वो मस्ती वाली महफ़िल,
जिसे ना जाने कब से ढूँढ रहा है ये दिल,
यही है ख्वाहिश, आने वाले नए साल में,
लॉकडाउन ना हो ये खुशियों की मंज़िल,
फिर यह दर्द यह मंजर लौट कर न आए,
सूखे दरख़्तों पे फिर वही हरियाली छाए,
मुस्कान हो हर चेहरे पे खिले फूलों जैसी,
आनेवाला साल ऐसी सौगात लेकर आए,
जैसी नए साल की शुरुआत वैसा अंत हो,
जनवरी से दिसंबर तक खुशियाँ अनंत हो,
एक ही रंग में रंग जाए ये दुनिया सारी कि,
मिट जाए नफ़रतें प्यार दिलों में जीवंत हो,
हर दहलीज रौशन, जैसे हर दिन दीवाली,
खुशियों का हो रंग जैसे फाल्गुन की होली,
नए साल का नया दिन वसंत की बहार हो,
सावन बरसाए खुशियों की फुहार हर गली,
बस यही उम्मीदें हमारी आने वाले साल से,
ज़िन्दगी मुक्त हो जाए कोरोना के जाल से,
खट्टे- मीठे लम्हों के साथ चलता रहे जीवन,
गुनगुनाए सबकी ज़िंदगी संगीत के ताल से।
