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Dr Shikha Tejswi ‘dhwani’

Classics

5.0  

Dr Shikha Tejswi ‘dhwani’

Classics

नन्ही परी

नन्ही परी

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वो नन्हें-नन्हें हाथों को,

जब पहली बार छुआ था

क्या बताऊँ, क्या एहसास,

क्या प्रफुल्लित मन हुआ था।


पता नहीं था मुझको अब तक,

मुझमे इतनी ममता भरी थी।

ऐसा लगता था मानो मुझको,

जन्नत आज नसीब हुई थी।


माँ के चले जाने के बाद,

जब मैं दिन-रात रोती थी।

नन्ही परी के आने से,

अब मैं सदा हर्षित रहती हूँ।


जीवन का सबसे मधुर क्षण,

एक बेटी ही दे सकती है।

सबके लिए दुआ करती हूँ,

एक बेटी ज़रूर नसीब दे

एक बेटी ज़रूर नसीब दे ।


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