नन्ही कली
नन्ही कली
नन्ही सी कली थी
मुझको क्यूँ डाली से तोड़ दिया
खिलने का मन था मेरा
क्यों मुझको तोड़ दिया
पापा मैं तो बेटी थी तुम्हारी
क्यो मुझको ऐसे छोड़ दिया
मुझको भी तो झुलाया होता
अपनी बाहों के हार में
मुझको भी तो आने देते
इस सुंदर संसार मे
मैं भी पढ़कर आगे बढ़कर
नाम रोशन कर जाती
आखिर क्या कसूर था मेरा
जो मुझको गर्भ में मार दिया