नन्ही चिड़िया
नन्ही चिड़िया
हमारे बचपन में अक्सर
घर में चिड़ियॉं आती थी
फुदक -फुदक कर पूरे घर में
घूम-घूम चहचहाती थी
ड्राइंग रूम के पंखे के ऊपर
अपना घोंसला वह बनाती थी
थोड़ी सी आवाज करो तो
झट से वह उड़ जाती थी
चिड़िया को घर आया देख
पंखे हम बंद कर देते थे
उसकी अठखेलिया देख देख
सुख का आनंद हम लेते थे
लगी मोबाइल के असंख्य टावर
और इस प्रगति की दौड़ में
देती नहीं दिखाई चिड़िया
दूर-दूर तक की छोर में
इस बढ़ते हुए प्रदूषण का कहर
बेचारी चिड़िया सह नहीं पाई
अपने दिल की बात किसी से
वह जाते जाते कह नहीं पाई!