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anuradha chauhan

Tragedy

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anuradha chauhan

Tragedy

नन्ही चिड़िया (अनकहे रिश्ते)

नन्ही चिड़िया (अनकहे रिश्ते)

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यह नन्ही सी चिड़िया

नन्हा सा इसका बसेरा

आज यहां कल वहां

कब उठ जाए इसका डेरा

काट दिया उस पीपल को


जिस वृक्ष पर कभी यह रहती थी

टूटा घौंसला बिखरे सपने

चोटिल होकर रोती थी

हाथ बढ़ाया इसको छूने


झट हाथ पर मेरे बैठ गई

जैसे पूंछ रही हो मुझसे

यह किस गलती की सज़ा मिली

कल तक चहकती बच्चों सँग


उन सब से यह बिछड़ गई

अनकहा सा इक रिश्ता

मेरा इसके संग बन गया

उसकी आँखों का दर्द


मेरी आँखों से बह निकला

यूं ही कटते रहे वृक्ष तो

वजूद इनका मिट जाएगा

सिमट रहा अस्तित्व इनका

कल नाम भी इनका मिट जाएगा


क्यों मानव देता है सज़ा

इन निर्दोष पक्षियों को

छीनकर इनसे इनका बसेरा

क्या चैन मिलेगा तुमको भी


जब वृक्ष ही न बचेंगे धरती पर

तो जीवन कैसे संभव है।


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