STORYMIRROR

anuradha chauhan

Inspirational

2  

anuradha chauhan

Inspirational

उन्नति के शिखर

उन्नति के शिखर

1 min
84

 

उन्नति के चढ़कर शिखर, प्रीत न जाना भूल।

प्रीत बिना चढ़ती सदा, रिश्तों पर फिर धूल।

रिश्तों पर फिर धूल, चिढ़ाए पल पल मन को।

अपनों के ही संग, मिले हर सुख जीवन को।

स्वार्थ का पथ देख, मिले पग पग पर अवनति।

सच का आँचल थाम, शिखर चढ़ते सब उन्नति।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational