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anuradha chauhan

Others

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बेटी की विदाई

बेटी की विदाई

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अविरल नयनों से बहे, आँसू बनकर पीर।

होती है बेटी विदा, कैसे धर लें धीर।

कैसे धर लें धीर, चली प्राणों से प्यारी।

छूटा यह घर द्वार, पराई बाबुल क्यारी।

कहती अनु यह देख, प्रथा यह कैसी अविचल।

छूटा बाबुल देश, नयन बहते हैं अविरल।


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