नन्ही चिड़िया
नन्ही चिड़िया
पलंग के नीचे छुपी बैठी है
डरी सहमी नन्ही गुड़िया
ऐसी लगती जैसे क़ैद है
पंख सिकोड़े पिंजरे में चिड़िया
भाव बहुत है मन मे उमड़े
होठों पर खामोशी पसरी
डर और दर्द की बरखा मिलके
झुकी हुई आंखों से बरसी
माँ की सिसकी अब भी जैसे
उसके कानों में गूँज रही है
दबे गले से माँ की चीखें
लाडो का हाल बूझ रहीं है
मां मुझे अपनी ममता के
प्यारे दामन में भर लो
माँ मेरे मन के सारे
दर्द और डर को हर लो।
